जल कुंड में स्नान करने से दुख दर्द का होता अंत.!!भगवान सूर्य मंदिर बालाजी धाम उन्नाव (दतिया) जहाँ भरे पढ़े चढ़ावे में चढ़ाए हुए घी के कुएं:
भगवान सूर्य मंदिर बालाजी धाम उन्नाव (दतिया) जहाँ भरे पढ़े चढ़ावे में चढ़ाए हुए घी के कुएं: जल कुंड में स्नान करने से दुख दर्द का होता अंत.!!
भगवान सूर्य की प्रतिमा पर जल चढाने से असाध्य रोगों से पीड़ितों को मिलती से मुक्ति और नि:संतान दंपत्तियों को मिलता संतान सुख
वीर भूमि बुंदेलखंड के दर्शनीय स्थल अपने आप में अद्भुत हैं, हम बात कर रहे हैं, दतिया जिले से 17 किलोमीटर दूर उनाव के बालाजी सूर्य मंदिर की, यहां परिसर में चढ़ावे में चढ़ाए गए घी से कुँए भरे पढ़े हुए है l यह मन्दिर ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राचीन भी है l बताया जाता है की विगत 50 वर्षों में यहाँ आनेवाले श्रधालुओं के द्वारा यहाँ इतना घी चढ़ाया जा चूका है कि यहाँ इस चढ़ावे में चढ़ाए जानेवाले घी को रखने हेतु कुओं का निर्माण करवाना पड़ा l वह भी एक या दो कुँए नहीं बल्कि पूरे नौं कुएं l इस मंदिर में शुद्ध घी चढ़ाने की परंपरा लगभग 400 साल पहले से शुरू हुई थी l यहां मकर संक्रांति, बंसत पंचमी, रंग पंचमी और डोल ग्यारस पर ही काफी मात्र में शुद्ध घी चढ़ावे में आ जाता है l हर मौके पर भक्त 10 क्विंटल से ज्यादा घी चढ़ाकर जाते हैं l मान्यता हैं कि घी के चढ़ावे में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी करने पर उन्हें शाप लगता है और कुष्ठ और चर्म रोग आदि बीमारियां हो जाती हैं l मंदिर में चढ़ाया जाने वाले घी में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होती l
ऐसे भर गए घी के कुएं........
उन्नाव स्थित बालाजी सूर्य मंदिर में प्रतिदिन अखंड ज्योति के लिए आठ किलो घी का उपयोग किया जाता है, जबकि एक दिन में 17 किलो से अधिक का घी चढ़ावे में आता है l इस प्रकार एक सप्ताह में यहाँ सवा क्विंटल घी इकठ्ठा हो जाता है l अलग-अलग पर्वो पर आने वाले अतिरिक्त चढ़ावे को मिलाकर हर साल आठ टन का भंडार हो जाता है l घी को इकट्ठा करने के लिए पहले एक कुआं बनवाया गया, जब वह भर गया तो दूसरा l इस तरह धीरे धीरे पूरे नौ कुएं भर गए l घी रखने के लिए पहले जमीन में लोहे के टैंक की तरह सात कुएं बनवाए गए l हर कुएं की लंबाई-चौड़ाई सात फीट और गहराई आठ फीट थी l सातों कुएं जब घी से पूरी तरह लबालब भर गए तब मंदिर के प्राचीन कुएं को पक्का करके उसमें घी भरा गया l इसके पश्चात लगभग 20 फीट गहरा और 10 फीट लंबा-चौड़ा एक और कुआं भी खोदा गया l
असाध्य रोगों से मिलती मुक्ति.........
असाध्य रोग से पीडि़त व्यक्ति को बाला जी मन्दिर में सूर्य देव की प्रतिमा पर जल चढाने से मिलती है रोगों से मुक्ति एवं निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख मिलता है l
इस प्रसिद्ध बालाजी मंदिर के बारे में कई किवदंतियों कही जाती है l माना जाता है कि मन्दिर के निकट ही एक पवित्र जलकुण्ड है l कहा जाता है कि इस जल से स्नान करने पर तमाम दु:ख-दर्द मिट जाते हैं l यहाँ आने वाले नि:संतान दंपत्तियों को संतान का सुख मिलता है l लगभग चार सौ वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर में संतान की चाहत रखने वाले श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है l भगवान के दर्शन मात्र से संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है l इस स्थान को “बालाजी धाम” के नाम से भी जाना जाता है l कहा जाता है कि यह प्रसिद्ध मंदिर प्रागैतिहासिक काल का है l पहुँज नदी के किनारे पर आकर्षक और सुरभ्य पहाड़ियों में स्थित इस सूर्य मन्दिर पर सूर्योदय की पहली किरण सीधे मन्दिर के गर्भागृह में स्थित मूर्ति पर पड़ती है l