बैंकों की हालत में सुधार, 18 में से 12 सरकारी बैंक मुनाफे में
बैंकों की हालत में सुधार, 18 में से 12 सरकारी बैंक मुनाफे में
केंद्र सरकार की एनपीए (फंसे कर्ज) कम करने की मुहिम का असर दिखना शुरू हो गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछली सात तिमाहियों में सरकारी बैंकों का कुल एनपीए 14.6 फीसदी से घटकर 11.3 फीसदी पर आ गया है। यही नहीं इस दौरान बैंकिंग फर्जीवाड़े की घटानाओं में भी कमी देखने को मिली है।
बैंकों में ऊपर जारी ‘ईज 3.0’ रिपोर्ट के मुताबिक, पिछली सात तिमाहियों में सरकारी बैंकों के एनपीए में अमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला है। सरकारी बैंकों के एनपीए 8.96 लाख करोड़ रुपए से घटकर 7.17 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। यानी, बैंकों के फंसे कर्ज में पौने दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी देखने को मिली है। सरकार के ये आंकड़े मार्च 2018 से लेकर दिसंबर 2019 के बीच के हैं। यही नहीं बैंकिंग फर्जीवाड़े की घटनाओं में भी 70 फीसदी की गिरावट आई है।
जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2010 से वित्त वर्ष 2014 के बीच जहां फर्जीवाड़े का आंकड़ा 0.65 फीसदी हुआ करता था वो वित्त वर्ष 2018 से वित्त वर्ष 2020 के दौरान 0.20 फीसदी पर पहुंच गया है। आंकड़ों में यह भी बताया गया है कि वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2020 के दिसंबर महीने तक 2.04 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली देखने को मिली है। जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में समान अवधि के दौरान यह वसूली महज 1.21 लाख करोड़ रुपए ही थी।
तकनीक के इस्तेमाल से फायदा
सरकार के मुताबिक इन बदलते हालात के पीछे किए गए कई तरह के सुधार जिम्मेदार हैं। सरकारी बैंकों में शासन-विधि, अंडरराइटिंग, समय समय पर सघन निगरानी, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल और वसूली की तेज प्रक्रिया को अपनाया गया है जिसका नतीजा अब दिखने लगा है। यही नहीं बैंकों में सभी पहलुओं के लिए तकनीक का सहारा लिया जाना शुरू कर दिया गया है जिससे न सिर्फ फर्जीवाड़े रोकने बल्कि एनपीए घटाने में भी मदद मिलनी शुरू हो गई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही तक 18 में से 12 सरकारी बैंक मुनाफे में आ गए हैं। जबकि मार्च 2018 तक की तिमाही के दौरान केवल दो बैंक ही मुनाफे में थे। इस दौरान त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के दायरे से भी बैंकों को बाहर आने में मदद मिली है। मार्च 2018 तक इस दायरे में 11 बैंक हुआ करते थे। सरकार ने कुछ बैंकों का विलय भी किया है जिसके बाद अब पीसीए के दायरे में केवल चार बैंक बचे हैं।
7.17 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है बैंकों का कुल एनपीए घटकर।
70 फीसदी की गिरावट आई है बैंकिंग फर्जीवाड़े की घटनाओं में।
18 में से 12 सरकारी बैंक मुनाफे में आ गए मौजूदा वित्त वर्ष में।